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भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे

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दोस्तों यदि हम भारत देश के पहले राष्ट्रपति की बात करें तो शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे इसकी कोई जानकारी नहीं होगी। आपने यह देखा होगा कि अक्सर आपके कॉम्पिटेटिव एग्जाम में इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं

भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे (Who Is The First President of India) उनका जीवन परिचय, राजनीतिक सफर, परिवार, शिक्षा आदि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे

यदि भारत के प्रथम राष्ट्रपति के बात की जाए तो डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद का नाम Bharat Ke Pratham Rashtrapati के रूप में सामने आयेगा। अपने समय में डॉ राजेंद्र प्रसाद एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता पत्रकार एवं स्वतंत्र कार्यकर्ता रह चुके थे।

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था एवं इसी दिन देश को संवैधानिक रूप से उनका पहला राष्ट्रपति मिला और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। यह पद भारत का सबसे उच्च पद है एवं भारत देश का राष्ट्रपति देश के प्रथम व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।

राजेंद्र प्रसाद ने 13 मई 1952 को संसद में विधिवत रूप से राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया। उसके बाद इस पद को सुशोभित करने का इतिहास उन्होंने तब रचा जब वह 1957 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुने गए एवं उन्होंने दूसरी बार देश का कार्यभार संभाला।

सन 1962 में भी डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे परंतु उन्होंने इस पद का त्याग कर दिया। जिसके बाद उस समय के उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को देश के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।

डॉ राजेंद्र प्रसाद उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने भारत देश के आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने अपने जीवन के अंतिम के कुछ महीने सेवानिवृत्ति के बाद पटना के सदाकत आश्रम में अपना जीवन बिताया। उसके बाद 28 फरवरी 1963 में राजेंद्र प्रसाद जी का निधन हो गया।

स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य नेताओं में डॉ राजेंद्र प्रसाद एक थे जिन्होंने साल 1931 में महात्मा गांधी जी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन एवं नमक सत्याग्रह आंदोलन में हिस्सा लिया था।

राजेंद्र प्रसाद जी को भारतीय नागरिक बहुत अधिक पसंद करते थे और लोगों के बीच वह बहुत अधिक लोकप्रिय थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारतीय नागरिक देश रत्न एवं राजेंद्र बाबू कहकर भी बुलाया करते थे। भारत देश में वह प्रथम राष्ट्रपति एवं दो बार राष्ट्रपति होने के नाम से काफी प्रसिद्ध है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म बिहार के सिवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई में 3 दिसंबर 1884 में हुआ था। उन्होंने आजाद भारत के सबसे प्रथम राष्ट्रपति के रूप में पद का कार्यभार संभाला था।

अपने जीवन काल के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को दो बार राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने का मौका मिला था। वे भारत के एक विद्वान एवं दृढ़ पुरुष के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की शिक्षा

यदि हम डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपनी शिक्षा पुणे से पूरी की थी। वह पढ़ाई में बहुत होशियार थे। उनके पिता का नाम महादेव सहाय था जो फ्रेंच एवं संस्कृत के विद्वान थे। उनका विवाह बाल प्रथा की वजह से 13 वर्ष की उम्र में ही राजबांशी देवी के साथ हो गया था।

शादी होने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखने का फैसला लिया था जिसके बाद वह कोलकाता यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर 18 वर्ष की उम्र में ही पहला स्थान प्राप्त किया था।

कोलकाता यूनिवर्सिटी के द्वारा राजेंद्र प्रसाद जी को प्रति महीने ₹30 की स्कॉलरशिप दी जाती थी। उन्होंने वहां से अपने M.A की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद वह पॉलिटिकल में अपनी रुचि लेने लगे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का व्यक्तित्व

भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म उस वक्त हुआ था जब भारत देश में ब्रिटिश का शासन था। उस समय में हर जगह ब्रिटिश का पर्चम लहराया करता था एवं खाने से लेकर कपड़े तक हर जगह ब्रिटिश का शासन दिखता था

परंतु हम आप सभी को यह बता दे कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ राजेंद्र प्रसाद जी हमेशा अपनी परंपरा के हिसाब से ही कपड़े पहना करते थे। वे भारतीय संस्कृति के तहत सिर पर टोपी धारण करते एवं धोती कुर्ता पहनते थे।

उनका जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ था इसी वजह से वह हमेशा ही एक जॉइंट फैमिली में रहते थे। उनके परिवार वाले उनके स्वभाव की वजह से उनसे बहुत अधिक प्यार करते हैं। राजेंद्र प्रसाद जी एक विद्वान और प्रतिभाशाली पुरुष थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का राजनितिक सफर

साल 1906 में डॉ राजेंद्र प्रसाद जी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बिहारी स्टूडेंट्स कॉन्फ्रेंस के मेंबर बन गए और वही से उनके पॉलीटिकल करियर की शुरुआत हुई।

कुछ समय के बाद उन्होंने बिहार के दो प्रमुख पॉलीटिशियन व्यक्ति कृष्णा सिन्हा और नारायण सिन्हा के साथ मिलकर नॉन कोऑपरेटिव एवं चंपारण मूवमेंट में हिस्सा लिया था।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण तथ्य

सन 1950 ईस्वी में जब भारत एक गणतंत्र देश बना डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा के द्वारा देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उन्होंने एक अध्यक्ष के रूप में पदाधिकारी के लिए स्वतंत्रता और गैर पक्षपात की परंपरा की स्थापना की एवं कांग्रेस पार्टी राजनीति से सेवानिवृत्त हो गए।

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने एक प्रमुख औपचारिक होने के बावजूद भारत देश में शिक्षा के विकास को अत्यधिक बढ़ाने का प्रयास किया था एवं कई मामलों पर पं. जवाहर लाल नेहरू जी को सलाह दी।


राजेंद्र प्रसाद जी ने अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया एवं सांसदों के लिए नए दिशानिर्देश की स्थापना की जिनका आज भी विधिवत रूप से पालन किया जाता है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी इतने महत्वपूर्ण पद पर होने के अलावा भी वह एक प्रसिद्ध कार्यकर्ता एवं प्रोफेसर थे। उनकी उपलब्धियों की सूचियां यहीं समाप्त नहीं होती है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का एक सफल कानूनी कार्य भी था। उन्होंने भारत के मुक्ति संग्राम में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी सन 1946 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने से पहले भारतीय सरकार के खाद्य एवं कृषि मंत्री हुआ करते थे।

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